इस ब्लॉग पर पिछले साल एक नई प्रथा शुरू हुई थी: बीते वर्ष में जिस व्यक्ति ने हमारे प्रदेश (छत्तीसगढ़) को अच्छे या बुरे के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित किया, उसे "साल के व्यक्ति" का खिताब दिया गया और आने वाले वर्ष में क्या होगा, उसकी भविष्यवाणी की गई.
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2010 के व्यक्ति
२०१० के "साल के व्यक्ति" (Person of the Year) डॉक्टर विनायक सेन हैं. उनके मुकद्दमे- और सजा- ने हमारे प्रदेश को भारत का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण बुद्धिजीवी-दुनिया के आकर्षण का केंद्र बना दिया है. ये हमारे लिए गौरव की बात नहीं है.
उनके परिवार और केस, दोनों से मैं बहुत करीब से जुड़ा हुआ हूँ. उनका फ्लैट हमारे रायपुर के घर के ठीक सामने है. डॉक्टर सेन मेरी माँ के मेडिकल कॉलेज (वेलूर) में सीनियर थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद, हाल में आज़ाद हुए बंगलादेश जाकर उन्होनें भारत-पाकिस्तान युद्ध (१९७१) में सबसे क्षतिग्रस्त हुए इलाकों में निशुल्क चिकित्सा-सेवा दी. कई सालों तक डॉक्टर सेन अपनी पत्नी इलेना के साथ धमतरी और बालोद क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में गरीबों का इलाज करते रहे. गुरुर के पास आज भी उनका छोटा सा क्लीनिक है, जो लगभग बंद पड़ा है. वे मेरे पिता जी के शासनकाल में छत्तीसगढ़ मेडिकल बोर्ड के सदस्य थे: उस दौरान वे मितानिन (midwife) योजना के सूत्रधार बने, जो आज पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू हो चुकी है. इस योजना के अंतर्गत गांवों की मितानिन को आवश्यक चिकित्सा प्रणाली- जैसे मलेरिया और दस्त का उपचार- में प्रशिक्षण देकर दूरदराज़ ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को बहुत हद तक पूरा किया जा रहा है.
सलवा जुडूम की आड़ में हो रहे अत्याचार- सैकड़ों गांवों से हज़ारों आदिवासियों को विस्थापित कर उन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध भेड़-बकरियों की तरह "कैम्पों" में रखा गया, और उनको नक्सली-समर्थक बताकर मार डाला गया (अभी कुछ ही दिन पहले बीजापुर बस्ती में एक एस.पी.ओ. ने एक आदिवासी छात्र आशीष माझी की छाती में चार गोली दागकर दिन-दहाड़े ह्त्या कर दी)- को उन्होनें पी.यू.सी.एल. के माध्यम से उजागर किया, तो उन्हें नक्सलियों का डाकिया बताकर देशद्रोह जैसे संगीन जुर्म का दोषी करार दिया.
अगर गरीबों की सेवा करना और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना देशद्रोह है, तो ये हमारे प्रदेश- और देश- के लिए बेहद शर्म का विषय है. एक नागरिक और एक वकील होने के नाते मुझे पूरी उम्मीद है कि इस गलती को बहुत जल्दी सुधारा जाएगा.
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2011 में छत्तीसगढ़
A. राजनीति:
(१) भाजपा में "आदिवासी एक्सप्रेस" चलेगी, आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग धीरे धीरे तूल पकड़ेगी: नंदकुमार साय और बलिराम कश्यप इसके सूत्रधार होंगे; शासन के कुछ मंत्री और संसद इसको पीछे से बल देंगे. पूरी मुहीम नाकाम सिद्ध होगी, और डॉक्टर रमन सिंह अपनी कुर्सी पर बरक़रार रहेंगे.
(२) नया प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस को अंततः मिलेगा. वोरा-युग अब दिग्विजय-युग में तब्दील होगा. प्रदेश सरकार के खिलाफ दबे हुए जानाक्रोश को आन्दोलन का रूप देने में कांग्रेस, विशेषकर कांग्रेस के युवाओं, की अहम् भूमिका रह सकती है.
(३) छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, कम्यूनिस्ट, गोंडवाना और बहुजन समाज पार्टी के बीच आपसी तालमेल बढ़ेगा और दोनों राष्ट्रीय दलों के विकल्प के रूप में एक सशक्त और संयुक्त तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास किए जाएंगे. साधन और संगठन के अभाव में इसको कम सफलता मिलेगी.
(४) मंडी के अलावा दुसरे चुनाव न होने के कारण जातिवाद और राजनीति में पैसे का दुरूपयोग कम होगा.
B. कानूनी व्यवस्था/ प्रशासन:
(१) श्री कल्लूरी के नेतृत्व में दंतेवाडा में नक्सलियों से सीधा युद्ध छेड़ा जाएगा, इसमें कई निर्दोष लोग मारे जाएंगे. राजनांदगांव, सराईपाली, बसना, सारंगढ़ और गरियाबंद के जंगलों को अपना बेस बनाकर नक्सली रायपुर की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे. डॉ. बिनायक सेन बेगुनाह साबित होंगे.
(२) छोटे-बड़े शहरों में गुंडा-गर्दी, लूट और मार-काट बढ़ेगी. बेरोजगार युवाओं की संख्या इनमें ज्यादा रहेगी. वे गली-गली में अवैध रूप से बिक रही शराब पीकर अपने गम गलत करेंगे.
(३) भ्रष्टाचार इतना व्यापक हो जाएगा की वो सार्वजनिक जीवन का मुद्दा ही नहीं रहेगा: आरोप लगेंगे, और हमेशा की तरह "मैच-फिक्सिंग" हो जाएगी!
C. अर्थव्यवस्था:
(१) सिंचाई, उद्योग और पीने के पानी की कमी बरक़रार रहेगी. सरकार इस भीषण समस्या से निपटने में पूरी तरह विफल रहेगी.
(२) जांजगीर, रायगढ़, कोरबा और भानुप्रतापपुर के रहवासी उनके क्षेत्र में अन्धाधुन तरीके से किए जा रहे औद्योगीकरण- और उसके दुष्प्रभाव (बढ़ते तापमान, घटता पानी, प्रदूषित वायू, जबरदस्ती किया गया विस्थापन)- के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे, लेकिन पूंजीवादियों के दबाव में आकर सरकार उसे कुचलने का प्रयास करेगी.
(३) सरकार किसानों से वादा-खिलाफी करेगी: उन्हें न बोनुस मिलेगा, न मुआवजा और न ही मुफ्त बिजली. इससे- और बढ़ती महंगाई से- उनकी आर्थिक स्थिति और जर्जर होगी. तेजी से बढ़ते शहरों से सटे हुए गांवों में इसका नाजाएज फायदा भू-माफिया उठाएगी. इसमें उन्हें शासकीय मदद भी मिलेगी.
D. संस्कृति:
(१) छत्तीसगढ़ी संस्कृति की धूम अब इन्टरनेट पे मचेगी- जो बहुत जल्द ही पारंपरिक मीडिया की जगह ले लेगा. सोशल नेटवर्किंग साईट "फेसबुक" पर २५,००० छत्तीसगढ़िया दस्तक देंगे.
(२) प्रदेश में पढ़ाई का स्थर, विशेषकर उच्च शिक्षा का स्थर, गिरेगा लेकिन फीस और बढ़ेगी. छात्रों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ेगा. सरस्वती शिशु मंदिरों और एकल विद्यालयों के माध्यम से आर.एस.एस. आदिवासी क्षेत्रों में अपनी जड़ें और गहरी करेगी.